14वीं पंचवर्षीय योजना में चीन की ग्रीन ग्रोथ रणनीति रेखांकित की गई

स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ों को अमूल्य संपदा में बदलने से न केवल पारिस्थितिकी संरक्षण बढ़ता है बल्कि ज़्यादा रोज़गार भी पैदा होता है, जो सामाजिक आर्थिक प्रगति और पारिस्थितिक संरक्षण के समन्वित विकास में सहायक है।
by छांग जिवेन
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17 अक्टूबर, 2020: चच्यांग प्रांत की चेंग्ज़िंग काउंटी का शुइकू गाँव, चारों ओर से सुनहरे धान के खेतों से घिरा हुआ है। यहाँ इस मौसम में हुई जबरदस्त उपज की सुंदर झलक देखी जा सकती है। (वीसीजी)

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं केंद्रीय समिति के पाँचवें महाधिवेशन में पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) सामने रखी गई। योजना बनाने के प्रस्ताव के अनुसार, चीन अगले पाँच सालों में एक नए तरह की पर्यावरणीय प्रगति का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ेगा। इसे प्रेरणा देने वाला विचार है “स्वच्छ जल स्रोत और हरे-भरे पहाड़ हमारी अमूल्य संपदा हैं।” स्वच्छ जल और हरे-भरे पहाड़ों को अमूल्य संपदा में बदलने के लिए, चीन लगातार वैज्ञानिक तरीके से पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने की दिशा में आगे बढ़ेगा, और एक ग्रीन और लो-कार्बन इकॉनमी के रूप में खुद को विकसित करेगा।

ग्रीन और लो-कार्बन उत्सर्जन से पोषित विकास

    दुनिया के मध्यम रूप से विकसित देशों की प्रति व्यक्ति जीडीपी 20,000 से 30,000 अमेरिकी डॉलर है। आने वाले समय में, जैसे-जैसे ये देश और विकसित होंगे, इनकी प्रति व्यक्ति जीडीपी में भी इज़ाफ़ा होगा। हालाँकि, इतनी विशाल जनसंख्या के बावजूद, चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी 10,000 डॉलर को पार कर चुकी है। फिर भी, 2050 के अपने आर्थिक और सामाजिक विकास लक्ष्यों को हासिल करने और मध्यम रूप से विकसित देशों की बराबरी करने के लिए, चीन को अपनी जीडीपी में कम से कम 5 से 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से वृद्धि करनी होगी। ऐसे में, 2030 से पहले कार्बन उत्सर्जन के बढ़ने की दर को पूरी तरह से रोकना और 2060 से पहले कार्बन न्यूट्रैलिटी का लक्ष्य हासिल करना, चीन के लिए एक मुश्किल काम होगा। ग्रीन और सतत विकास, और मानव साझे भाग्य वाले समुदाय की अवधारणा पर विकसित समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध, चीन को उपलब्ध तकनीक बेहतर करने, शासन व्यवस्था में सुधार करने, और देश की चौतरफ़ा कायापलट करने जैसे कदम उठाने होंगे, ताकि चीन अपनी वर्तमान प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ 2035 से 2050 तक चलने वाले “सुंदर चीन” अभियान को भी पूरा कर सके। पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत,  “स्वच्छ जल स्रोत और हरे-भरे पहाड़, हमारी अमूल्य संपदा हैं” की अवधारणा को जमीनी स्तर पर लागू करने और लो-कार्बन उत्सर्जन से पोषित ग्रीन ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए इन कदमों पर विचार किया जा सकता है।

पूरे समाज में, ग्रीन उत्पादन और ग्रीन जीवन शैली को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि संसाधनों के खपत और प्रदूषक तत्त्वों के उत्सर्जन को कम किया जा सके, और लो-कार्बन उत्सर्जन वाले विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। पारिस्थितिकी संरक्षण को कमज़ोर करने वाले पहलुओं को कम करने के लिए, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कचरा छँटाई और प्रदूषित जल के लिए उपचार सुविधाओं का निर्माण किया जाना चाहिए। साथ ही, रिहायशी इलाकों के वातावरण को साफ़ करने, गैर-बिंदु स्रोतों से आने वाले प्रदूषण को कम करने, और पर्यावरण की क्षमता को बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।

17 सितम्बर, 2020: हेबेई प्रांत की थांगशान सिटी के कल्चरल पार्क में पर्यावरण संरक्षण के लिए साइकिल रैली निकालते हुए वालंटियर। (आईसी)

हाइड्रोजन, सौर (सोलर), और पवन ऊर्जा के अन्वेषण को तेज़ करके और न्यूक्लियर ऊर्जा क्षमता को लगातार विकसित करके, ऊर्जा मिश्रण को बेहतर करना होगा। इससे जैविक ईंधनों पर चीन की निर्भरता कम होगी, और वायु प्रदूषकों और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती की जा सकेगी। जैविक ऊर्जा की खपत और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का प्रबंधन और नियंत्रण करने के साथ-साथ, पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों को, पारिस्थितिकी संरक्षण को लागू करने के मुआयनों और पारिस्थितिकी प्रगति की गणना करने के वाले इंडेक्स सिस्टम में शामिल किया जा सकता है।

पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार और प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम को साथ-साथ लाने की ज़रूरत है। इसके लिए, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को इस तरह से विनियमित किया जाना चाहिए, ताकि पारंपरिक प्रदूषकों के उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सके। साथ ही, ओजोन गैस के उत्सर्जन को नियंत्रित करके वायु में पी.एम 2.5 की मात्रा कम करने के लिए भी कदम उठाने की ज़रूरत है। तमाम तरह के अलग-अलग वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन को एक साथ नियंत्रित करने की योजना बनाई जानी चाहिए, ताकि लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित किया जा सके और पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार लाने के लिए उठाए जा रहे कदमों से बेहतर नतीजे हासिल किए जा सकें।

पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर करने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों को एक साथ लाने और उनसे बेहतर नतीजे पाने के लिए, क्षमताओं को इकट्ठा करने, उन्हें विकसित करने, फ़ासलों को भरने, और रह गई कमियों को दूर करने के लिए एक सम्मिलित सिस्टम बनाया जाना चाहिए। भू-जल और सतही जल, अलग-अलग जल स्रोतों, नदियों, सागरों, और जमीन के नीचे के जल स्रोतों पर अधिकारों को स्पष्ट किया जाना चाहिए, ताकि उनका संरक्षण किया जा सके। पर्यावरण क्रेडिट सिस्टम के सुधारों को और व्यापक किया जाना चाहिए और पर्यावरण दायित्व बीमा और रासायनिक उत्पाद दायित्व बीमा के बीच की कड़ी को और मजबूत किया जाना चाहिए। यह एक ऐसा सिस्टम होगा जिसमें सभी पक्षों के दायित्व तय होंगे और यह सुरक्षित होगा, ताकि आसानी से काम करने और सांस्कृतिक, आर्थिक, संस्थागत तौर पर सम्मिलित रूप से उठाए जा रहे कदमों के रास्तों में आ रही रुकावटों को दूर किया जा सके और उनकी कार्यकुशलता बढ़ाई जा सके।

   पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर करने के लिए, सम्मिलित संस्थागत नवाचार खोजते समय समस्या-मूलक दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है। उदाहरण के लिए, यांग्त्जे नदी और यलो नदी के संरक्षण, और याग्त्जे नदी डेल्टा, पेइचिंग-थ्येनचिन-हबेइ क्षेत्र, और क्वांगतोंग-हांगकांग-मकाओ ग्रेटर बे एरिया के एकीकृत विकास की ज़रूरतों को देखते हुए नई नीतियाँ और नियम लाए जाने चाहिए। ये पिछली नीतियों और नियमों से जुड़कर उन्हें बेहतर करती हों और अलग-अलग क्षेत्रों या नदी बेसिनों के ग्रीन ग्रोथ की ज़रूरतों को पूरा करती हों।

पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे अलग-अलग विभागों को, पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहे सुधारों की प्रगति को मापने की प्रणाली को बेहतर करना चाहिए, और पर्यावरणीय सेवाओं के लिए (आर्थिक) लेखांकन प्रणाली तैयार करनी चाहिए। साथ ही, उन्हें ऊर्जा उद्योग नवाचार प्रणाली, ग्रीन उद्योग प्रमाणन प्रणाली, और जलवायु परिवर्तन वित्तपोषण प्रणाली को स्थापित करने की संभावनाएँ तलाशनी चाहिए।

पर्यावरणीय संसाधनों का कुशल इस्तेमाल

उम्मीद है कि ऊपर बताए गए कदमों को अपनाकर, 14वीं पंचवर्षीय योजना के पाँच सालों में, चीन स्वच्छ जल स्रोतों और हरे-भरे पहाड़-पर्वतों को अपार संपदा में बदल देगा। इससे न केवल पारिस्थितिकी और पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा, बल्कि ऐसे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा जो सामाजिक-आर्थिक प्रगति और पारिस्थितिकी संरक्षण के सम्मिलित विकास के अनुकूल होगा।

चीन के अलग-अलग शहरों को, अलग-अलग इलाकों या नदी बेसिनों में अपनी-अपनी स्थिति के हिसाब से अपने औद्योगिक विकास की रणनीति खुद तैयार करनी चाहिए। आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ लेने के लिए, चीन के शहरों को एक-दूसरे के साथ मिलकर कदम बढ़ाने की ज़रूरत है। एक-दूसरे के साथ औद्योगिक सहयोग करना और कुल औद्योगिक प्रक्रिया में एक-दूसरे का पूरक बनना, अलग-अलग उद्योगों के अनुपात को नई ज़रूरतों के हिसाब से अपग्रेड करना, औद्योगिक क्लस्टरों के विकास को बढ़ावा देना, और प्रदूषकों के उत्सर्जन व ऊर्जा और संसाधनों की खपत को कम करना कुछ ऐसे ही अहम कदम हैं। चीन और दुनिया के अलग-अलग इलाकों और नदी बेसिनों के बीच मौजूद बड़े स्तर की प्रतिस्पर्धा और सहयोग, शहरों को छोटे स्तर की बंद प्रतिस्पर्धाओं, सहयोग, और आर्थिक चक्र से बाहर निकलने के लिए मज़बूर करते है।  वैश्वीकरण की प्रवृत्ति लंबे समय तक रहती है। यह सच है कि जब दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजरती है, तो वैश्वीकरण-विरोधी भावनाएँ उभरने लगती हैं। लेकिन इसके बावजूद, अन्य उद्योगों से प्रतिस्पर्धा करने पाने में सक्षम ग्रीन उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और सहयोग से पीछे नहीं हटना चाहिए।

 साथ ही, देश किसी भी हाल में विनिर्माण क्षेत्र की अहमियत को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता। चीन का विनिर्माण क्षेत्र, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को आधार देने और ग्रीन उद्योगों को अपग्रेड करने में भी अहम भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में ग्रीन कृषि, ग्रीन टूरिज्म, और ग्रीन पुनर्वास, के योगदान को बहुत बढ़ा चढ़ाकर नहीं दिखाया जा सकता। अच्छी तरह से संरक्षित पारिस्थितिकी होने के बावजूद, मध्य और पश्चिमी चीन के कई ग्रामीण क्षेत्र, कमज़ोर यातायात, औद्योगिक आधार, और उच्च कौशल वाले मानव संसाधनों की कमी के चलते, विकसित और औद्योगीकृत इलाकों से राष्ट्रीय आर्थिक सहायता या “युग्मित सहायता” प्राप्त करते हैं। इसलिए, 14वीं पंचवर्षीय योजना के प्रस्ताव के अनुसार, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों और उद्योग और कृषि के बीच समन्वित विकास को प्राप्त करने के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले औद्योगीकरण और शहरीकरण को लागू करना ज़रूरी है। अगर इन ग्रामीण क्षेत्रों को प्रतिस्पर्धी उद्योगों, विशेष ग्रीन उत्पादों या सेवाओं, मध्यम आकार और बड़े शहरों से मांग और निवेश, और राज्य-वित्तपोषित पर्यावरण-मुआवजा भुगतानों का समर्थन नहीं मिलता है तो पारिस्थितिकी मूल्य को आर्थिक मूल्य में नहीं बदला जा सकता। ऐसे में, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए समन्वित विकास, समृद्ध रहने और अच्छे पारिस्थितिक वातावरण की विशेषता वाले पारिस्थितिक परिदृश्य का निर्माण करना भी मुश्किल है।

ज़रूरी है कि स्थानीय सरकारें, अपनी पारिस्थितिकी की निरंतरता को बनाए रखते हुए उद्योगों का निर्माण करें और प्रगति की ओर कदम बढ़ाएँ। उद्योगों के आकार और उत्पादन क्षमता, माँग और स्थानीय वास्तविकताओं से मेल खानी चाहिए, बजाय इसके कि आँखें बंद करके विकास मॉडलों की नकल कर ली जाए। उदाहरण के लिए, कुछ इलाकों में ब्रेड एंड ब्रेकफ़ास्ट (बी & बी) इकॉनमी को पिछले कुछ सालों में अच्छा प्रदर्शन करते देख, निवेशकों और स्थानीय सरकारों ने आगे बढ़-बढ़कर प्राचीन गाँवों को विकसित करने और ग्रामीणों के पुनर्वास के अधिकार खरीद लिए, लेकिन उचित माँग की कमी और ऊँची कीमतों की वजह से, कई जगहों पर इसके नतीजे ठीक नहीं रहे। पर्यटकों की छोटी संख्या की वजह से, प्रसिद्ध स्थानीय चीज़ों  (जैसे कि हस्तशिल्प या खानपान की चीज़ें) की बिक्री या स्थानीय ग्रीन उद्योगों के विकास को ज़रूरी गति नहीं मिली। नतीज़तन, इन प्राचीन गाँवों के पुनर्निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका। हकीकत यह है कि जब प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम अभियान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर किए गए पारिस्थितिकी सुधारों ने पिछले कुछ सालों में बहुत ही सराहनीय नतीजे दिए हैं, तब पारिस्थितिकी के नज़रिए से समृद्ध कुछ इलाकों ने अपना पुराना आकर्षण तो खोया ही, वे आर्थिक रूप से भी अवहनीय हो गए। इस तरह के दुष्परिणामों से बचने के लिए ज़रूरी है कि स्थानीय सरकारें पारिस्थितिकी संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम, पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरिता और गुणवत्ता में सुधार करने, और ग्रीन उद्योगों में अपनी स्थानीय खासियतों को बनाए रखने  के काम में दृढ़ता से जुटी रहें।

ध्यान रखना होगा कि बदलाव, स्थानीय संसाधनों, विशेषताओं और फ़ायदों पर आधारित एक क्रमिक प्रक्रिया की तरह आगे बढ़े। स्थानीय सरकारों को यातायात मार्गों, सूचना और प्रदूषण उपचार सुविधाओं का निर्माण करने, और पेशेवर स्टाफ़ को ट्रेन करने से पहले पारिस्थितिकी, औद्योगिक, और सामाजिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखना होगा। फिर इन्हें ग्रीन विनिर्माण, ग्रीन टूरिज़्म, ग्रीन कृषि और ग्रीन सेवा उद्योगों से जोड़ना होगा, ताकि पारिस्थितिकी तंत्र की समृद्धि को आर्थिक समृद्धि में बदला जा सके और निवेश को आकर्षित किया जा सके। जैसे-जैसे ग्रीन ग्रोथ बेहतर होता जाएगा, ग्रीन उद्योग, स्थानीय अनुपूरक उद्योगों से विकसित होकर क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले उद्योगों में तब्दील हो जाएँगे। उच्च-गुणवत्ता वाले विकास का यही एकमात्र रास्ता है।  

साथ ही, पर्यावरण प्रवर्तन विभागों को पारिस्थितिकी तंत्र में भूमि प्रबंधन और नियंत्रण योजनाओं को सख्ती से लागू करना होगा और उन्हें “तीन रेखाओं और एक चेकलिस्ट” (पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण जोखिम रेखा, पर्यावरणीय गुणवत्ता की न्यूनतम रेखा, संसाधन के दोहन की अधिकतम सीमा, और पर्यावरणीय संसाधनों तक पहुँच की चेकलिस्ट) का पालन करना होगा। इसके अलावा, प्रवर्तन विभागों को पर्यावरणीय प्रभाव आकलनों, पारिस्थितिकी संरक्षण नियंत्रण एवं रोकथाम, कृषि उत्पादन, इको-टूरिज्म और ग्रीन औद्योगिक क्षेत्र के लिए वैज्ञानिक प्रणालियों पर आधारित कारगर योजनाएँ तैयार करनी होंगी, और भूमि-सागर और जल-भूमि पर्यावरण के संरक्षण के लिए समग्र योजनाओं पर काम करना होगा। यह न केवल पूरे देश के अलग-अलग इलाकों और नदी बेसिनों में पारिस्थितिक सुरक्षा की गारंटी प्रदान करेगा, बल्कि इससे सतत आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा। 

 

लेखक स्टेट काउंसिल के डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर के तहत रिसोर्स इंस्टीट्यूट फॉर रिसोर्स एंड एनवायरमेंट पॉलिसी के रिसर्च फेलो और वाइस डायरेक्टर-जनरल हैं।