दक्षिण पश्चिम पर नज़र - चीन-भारत स्थानीय सहयोग के अवसर और आउटलुक

दो बड़ी शक्तियों और पड़ोसी देशों के बीच संबंधों के समग्र और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से, चीन और भारतीय संबंधों में सुधार जारी रहेगा और स्थानीय सहयोग एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।
by रन चा
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21 दिसंबर, 2004: बांग्लादेश, चीन, भारत और म्यांमार के बीच क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग पर 5वां फोरम दक्षिण-पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत खुनमिंग में खुला। [वीसीजी]

चीन के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र और भारत के बीच आदान प्रदान का बहुत लम्बा इतिहास है। मशहूर दक्षिणी रेशम मार्ग में एक मार्ग रेखा चीन के सछ्वान प्रांत से युन्नान प्रांत होते हुए म्यांमार तक जाती है और भारत के पूर्वोत्तर यानी आज के असम राज्य और मनिपुर राज्य को जोड़ती है। दूसरी रेखा तो पुराने चाय हॉर्स रोड से युन्नान प्रांत के ताली से लीच्यांग, चोंगत्येन (आज का शांगरिला) होते हुए तिब्बत में प्रवेश करने के बाद भारत को जोड़ती है। दक्षिणी रेशम मार्ग चीन के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र के भारत जाने वाला पुराना मार्ग था, जो विदेशों में जाने वाले चीन के सब से पुराने अंतर्राष्ट्रीय चैनलों में से एक भी है।
पिछली शताब्दी के 90 के दशक में, दक्षिण-पश्चिम चीन के विद्वानों ने भारत में शैक्षणिक मंडलियों के साथ संवाद करने में अग्रणी भूमिका निभाई। पांच दक्षिण पश्चिम प्रांतों के सामाजिक विज्ञान अकादमी ने संयुक्त बैठक बुलाकर इस क्षेत्र के खुलेपन और वास्तविक कार्यवाइयों पर विचार विमर्श किया और इस क्षेत्र के हिन्द महासागर और दक्षिण एशिया के खुलेपन के लिए भविष्य उन्नमुख अनुसंधान उपलब्धियां हासिल कीं। 1997 से 1999 तक युन्नान प्रांत ने अनेक प्रतिनिधि मंडलों को भारत भेजा। दोनों पक्षों ने रचनात्मक रूप से चीन-भारत-म्यांमार-बांग्लादेश क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग की विचारधारा प्रस्तुत की। 1999 में चीन के खुनमिंग में आयोजित पहले चीन-भारत-म्यांमार-बांग्लादेश क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग व विकास सम्मेलन(बाद में इस का नाम“बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग मंच” में बदला गया) का आयोजन किया।
21वीं शताब्दी में प्रवेश करने के बाद चीन ने पश्चिमी भाग में जोरदार विकास की रणनीति लागू की। चीन के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र ने सक्रिय रूप से कार्यान्वयन योजनाओं और कार्य योजनाओं का निर्माण किया। युन्नान प्रांत ने तीन रणनीतियां पेश कीं, जिनमें एक यह है कि युन्नान चीन द्वारा दक्षिण पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया को जोड़ने का अंतर्राष्ट्रीय चैनल बनना चाहता है। भारत ने भी चीन की इस नीति पर ध्यान दिया और दिन ब दिन दक्षिण पश्चिमी भाग की आवाजाही को महत्व देने लगा। दोनों देशों के बीच स्थानीय सहयोग और आदान प्रदान धीरे धीरे होने लगा।
2015 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन यात्रा के दौरान《चीन-भारत संयुक्त वक्तव्य》पर हस्ताक्षर किया। चीन और भारत ने स्थानीय सहयोग मंच की स्थापना पर सहमति जतायी। दोनों ने उसी साल पेइचिंग में पहले सम्मेलन का आयोजन किया। चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त रूप से सम्मेलन में भाग लिया। युन्नान सब से पहले भारत के साथ सहयोग और आदान प्रदान करने वाले प्रांतों में से एक है। युन्नान में विद्वानों की आवाजाही, स्थानीय सरकारों की आपसी यात्रा, उद्यमियों की खोज, चेम्बर की कार्यवाइयों की अनेक केस हैं। दक्षिण पश्चिम क्षेत्र के अन्य प्रांतों और भारत के बीच सहयोग में भी निरंतर हाइलाइट देखी जाती है।

आर्थिक व व्यापारिक सहयोग में स्पष्ट उपलब्धियां
चीन-भारत द्विपक्षीय सहयोग की प्रेरणा में युन्नान और भारत के आर्थिक व व्यापारिक सहयोग में भारी प्रगति मिली। 1999 से 2015 तक युन्नान प्रांत और भारत का व्यापारी रकम 2.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 76.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक बढ़ गया, जो 28 गुणा है। चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो 2013 में चिरस्थायी रूप से युन्नान प्रांत में हो रहा है, जो चीन द्वारा दक्षिण एशिया के उन्मुख खुलेपन और सहयोग का अहम प्लेटफार्म बन गया। युन्नान प्रांत जाने वाले दक्षिण एशियाई देशों के पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, जिन में भारतीय पर्यटकों की संख्या 90 प्रतिशत से ज्यादा है। युन्नान प्रांत के निर्माण समूह, युन्नान प्रांत के धातुकर्म समूह, युन्नान प्रांत की हौथर्न छवि ट्रांसमिशन प्रौद्योगिकी कंपनी लिमिटेड आदि उद्यमों ने भारतीय उद्योग संघ, उद्योग व वाणिज्य यूनियन और भारतीय उद्यमों के साथ सहयोग की स्थापना की। युन्नान प्रांत की हौथर्न छवि ट्रांसमिशन प्रौद्योगिकी कंपनी लिमिटेड ने भारत में चीनी व भारतीय पूंजी से संचालित कंपनी की स्थापना की, जो युन्नान प्रांत में पहली इसी तरह की कंपनी है। उस ने भारतीय पक्ष से संयुक्त रूप से 80 से ज्यादा चिकित्सक इलेक्ट्रॉनिक सूचना उत्पादों का विकास किया और उत्पादक अफ्रीका और दक्षिण एशियाई देशों तक बेचे जाते हैं।
सछ्वान प्रांत और भारत के कृषि सहयोग की प्रचुर उपलब्धियां हैं और नये तरीके हैं। 2004 से सछ्वान प्रांत के कृषि विश्वविद्यालय के अनाज संस्थान और भारत की सब से बड़ी बीज कंपनी नाथ बीज कंपनी के साथ सहयोग कर एक साथ 30 से ज्यादा हाइब्रिड अनाजों का संयोजन किया। जिसने भारतीय अनाज के उत्पादन को उन्नत करने, समुन्नत पालन तकनीक का प्रशिक्षण करने और स्थानीय किसानों की आमदनी को उन्नत करने में योगदान दिया। यह दोनों देशों के कृषि सहयोग की मिसाल बन चुकी है।
युन्नान के बाद क्वेईचो प्रांत ने भी भारत के साथ सहयोग किया। 2015 में क्वेईचो प्रांत की समुद्री रेशम मार्ग अंतर्राष्ट्रीय पूंजी निवेश कंपनी लिमिटेड ने भारतीय आंध्रप्रदेश के साथ शहरी व यातायात बुनियादी संरचनाओं के निर्माण, उद्योग निर्माण, विद्युत और अनवरत ऊर्जा से बिजली का उत्पादन करने और पर्यावरण संरक्षण आदि क्षेत्रों में पूंजी निवेश व सहयोग किया। क्वेईचो प्रांत के खानयांग फास्फोराइट कंपनी ने भी भारत में अपनी शाखा संस्था खोली। 2016 में उस ने भारतीय कमेंत अंतर्राष्ट्रीय कंपनी लिमिटेड से सहयोग कर फास्फोराइट उत्पादकों को दक्षिण एशियाई बाजार में बेचा। क्वेईचो प्रांत की छ्येईफूचीचो विज्ञान व तकनीक कंपनी लिमिटेड ने भारत में 22 असेंबली लाइनों और 10 पैकेजिंग लाइनों की स्थापना की, जिस की मासिक उत्पादन क्षमता करीब 25 लाख मोबाइल फ़ोन हैं। इस कंपनी के स्मार्ट फ़ोन ब्रांड एमसीएम की बिक्री भारतीय बाजार में बेहद अच्छी है।

12 से 17 जून 2016 तक खुनमिंग, युन्नान प्रांत में आयोजित चौथे चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो में आगंतुकों को आकर्षित करते हुए भारतीय हस्तशिल्प । [वीसीजी]

सांस्कृतिक आदान प्रदान दिन ब दिन घनिष्ट
अकादमिक आवाजाही और थिंक टैंक सहयोग अध्ययन चीन और भारत के स्थानीय सहयोग में नेतृत्व की भूमिका अदा करते हैं। चीन और भारत के बीच अकादमिक आवाजाही ने पिछली शताब्दी के 90 के दशक की अच्छी प्रवृत्ति को बरकरार रखा हुआ है। युन्नान और सछ्वान आदि जगहों की दक्षिण एशियाई अनुसंधान संस्थाओं और विश्वविद्यालयों ने भारतीय अकादमिक जगतों के साथ आदान प्रदान बरकरार रखा हुआ है और क्रमशः चीन-भारत सहयोग मंच, चीन-दक्षिण एशियाई थिंक टैंक मंच(2017 में इस का नाम“चीन-दक्षिण एशिया दक्षिण पूर्वी एशिया का थिंक टैंक मंच” में बदला गया), हिमाचल पार विकास मंच आदि अंतर्राष्ट्रीय अकादमिक सम्मेलनों का आयोजन किया। चीन और भारत के आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की नयी रणनीति, बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार पड़ोसी क्षेत्रों का आपसी संपर्क, तीसरे एशिया-यूरोप पुल के दक्षिण पश्चिमी मार्ग का निर्माण आदि अनुसंधान की उपलब्धियां चीन के युन्नान और सछ्वान आदि स्थानीय अनुसंधान संस्थाओं से आयी हैं।
सांस्कृतिक आदान प्रदान चीन और भारत दोनों देशों की सहमति बन गया है। शैक्षिक सहयोग की स्पष्ट विशेषता है। चीन और भारत सभ्यता वाले पुराने देश हैं और बड़े सांस्कृतिक देश भी हैं। परम्परागत सांस्कृतिक विचारधारा और सभ्यताओं का आदान प्रदान और एक दूसरे से सबक लेना द्विपक्षीय चिरस्थायी संबंधों का महत्वपूर्ण आधार ही है। दोनों देशों की सरकारों के समर्थन में 2014 में प्रथम चीन-भारत योग शिखर सम्मेलन युन्नान प्रांत के ताली में आयोजित हुआ। इस के बाद के तीन सालों में क्रमशः तीन बार चीनी (खुनमिंग) चीन-भारत अंतर्राष्ट्रीय योग उत्सव का आयोजन किया गया। युन्नान विश्वविद्यालय ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध कमेटी के साथ योग अकादमी की स्थापना की। युन्नान प्रांत ने हिन्दी जैसी दक्षिण एशियाई देशों की भाषाओं की शिक्षा भी शुरू की। साथ ही स्थानीय सरकारी कर्मचारियों ने चीन और भारत के अकादमियों में हिन्दी भाषा सीखने शुरू की। इस शताब्दी की शुरूआत में युन्नान के ताली अकादमी के चिकित्सक नर्सिंग विभाग भारतीय छात्रों को भर्ती करने लगा। अब ताली विश्वविद्यालय, खुनमिंग चिकित्सा विश्वविद्यालय, युन्नान विश्वविद्यालय और खुनमिंग साइंस विश्वविद्यालय आदि अनेक उच्चशिक्षालयों ने अनेक भारतीय और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के विद्यार्थियों को भर्ती किया। चीन के सछ्वान और छोंगछिंग ने शैक्षिक सहयोग के तरीकों में नयी विचारधारा लाकर भारत के जाने माने आईटी उद्यमों की शैक्षिक पूंजी को आकर्षित किया। विश्व की सब से बड़ी सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण कंपनी भारतीय राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्था (एनआईआईटी) छंगतू और छोंगछिंग में प्रवेश कर चुकी है।
मैत्री प्रांतों और मैत्री शहरों की स्थापना में उपलब्धि भी मिली है, जो चीन और भारत के स्थानीय सहयोग का अहम बेल्ट बन गया है। युन्नान और सछ्वान की स्थानीय सरकारों के अनेक सालों के प्रयास से 2013 में《चीन-भारत संयुक्त वक्तव्य》पर संपन्न होते समय खुनमिंग और कोलकाता, छंगतू और बैंगलोर चीन और भारत के बीच प्रथम मैत्री शहर बन गये हैं। 2013 में खुनमिंग-कोलकाता (के2के) सड़क सर्वेक्षण और मोटर कार रेली का सफलतापूर्ण आयोजन हुआ। भारत में लोगों ने बड़े उत्साह से आधी रात में ही मोटर कारों की कतार का इन्तज़ार करने की स्थिति बहुत प्रभावित है। 2015 में चीन-दक्षिण एशियाई एक्सपो के दौरान भारतीय दूतावास ने खुनमिंग मे “भारत की रात”नामक शानदार सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया। छंगतू शहर ने“विश्व प्रसिद्ध सॉफ्ट वेयर सिटी”के निर्माण की योजना में बैंगलोर को अपने विकास का मिसाल माना। छंगतू आशा करता है कि बैंगलोर के साथ सॉफ्ट वेयर उद्योग के“दो पूर्वी मशहूर सिटी”बन सकेगा। हाल में चीन और भारत के बीच 14 जोड़ वाले स्थानीय मैत्रीपूर्ण संबंधों की स्थापना हो चुकी है, जिन में सछ्वान प्रांत और कर्नाटक प्रदेश, क्वेईचो प्रांत और आंध्रप्रदेश, छोंगछिंग शहर और चेन्नई शहर आदि शामिल हैं। स्थायी सहयोग दिन ब दिन मजबूत होता जा रहा है।

स्थानीय सहयोग का उज्ज्वल भविष्य
2013 से 2015 तक चीन और भारत की सरकारों ने क्रमशः संयुक्त वक्तव्य जारी कर स्थानीय सहयोग का स्पष्ट समर्थन किया। दोनों देशों की स्थानीय सरकारों ने भी मौके को पकड़कर कदम ब कदम संबंधित सहयोग परियोजनाओं को लागू किया। चीन“एक पट्टी एक मार्ग” पहल के मुताबिक सलाह मश्विरे के आधार पर बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक कॉरिडोर के निर्माण को आगे बढ़ाएगा। भारत “एक्ट ईस्ट”पॉलिसी के आधार पर म्यांमार और थाईलैंड के साथ आपसी संपर्क को विस्तृत कर रहा है और बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक कॉरिडोर को जोड़ सकता है। बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक कॉरिडोर के निर्माण के ठोस कार्यक्रम पर अध्ययन भी चीन और भारत निश्चित कदमों के मुताबिक आगे चल रहे हैं। 2018 में चीन और भारत म्यांमार में चौथे संयुक्त कार्य दल के सम्मेलन का आयोजन करने की कोशिश करेंगे। चीन स्थित भारतीय राजदूत ने 2017 में युन्नान प्रांत की यात्रा करते समय कहा कि भारत सरकार बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक कॉरिडोर के निर्माण को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाएगी। भारतीय थिंक टैंक का भी यही मानना कि बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक कॉरिडोर चार देशों के आपसी सलाह मश्विरे की मिसाल है, जिसे प्रसारित किया जाना चाहिए। इसी पृष्ठभूमि में दोनों देशों के स्थानीय सहयोग में नयी दिशा नजर आयी है और सहयोग व आवाजाही का भविष्य उज्ज्वल रहा है।
चीन और भारत के स्थानीय आर्थिक व व्यापारिक सहयोग मजबूत हो रहा है। चीन और भारत की सरकारों ने कहा कि वे स्थानीय व्यापारी और पूंजी निवेश के आदान प्रदान का समर्थन करती हैं, ताकि चीन-भारत आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की पंचवर्षीय विकास योजना में निर्धारित क्षेत्रों की मौजूदा व निहित आपूर्ती की खोज कर सके, जिन में भारतीय दवा औषधि, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी सेवा,पर्यटन, टेक्सटाइल और कृषि उत्पादक शामिल हैं। 2017 में युन्नान और भारत के बीच व्यापारी रकम में 20.5 प्रतिशत की वृद्धि आयी। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर के मेयर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने जून माह में युन्नान की यात्रा की। पश्चिम बंगाल के उद्यमियों का एक प्रतिनिधि मंडल ने भी अगस्त माह में युन्नान का दौरा किया। 2016 में क्वेईचो प्रांत और आंध्र प्रदेश के बीच मैत्री प्रांत बनने के बाद दोनों ने संयुक्त कार्य कमेटी की स्थापना की और सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किया। दोनों ने बुनियादी संरचनाओं के निर्माण, बड़ा स्वास्थ्य और बड़ा डेटा के सहयोग आदि क्षेत्रों में सहमतियां प्राप्त कीं। हाल में आंध्र प्रदेश ने क्वेईचो प्रांत को उस के नये शहर के निर्माण में भाग लेने का आमंत्रण किया और सक्रिय रूप से नीति और भूमि उत्थान आदि क्षेत्रों का समर्थन भी दिया। दोनों के बीच ज़बरदस्त सहयोग की प्रवृत्ति पैदा हुई।
सांस्कृतिक आदान प्रदान अभी भी चीन-भारत सहयोग का अहम क्षेत्र रहा है। पहला, थिंक टैंक का आदान प्रदान और शैक्षिक सहयोग आगे बढ़ाया जाएगा। 2018 के नव वर्ष से युन्नान प्रांत की उच्च शिक्षा प्रदर्शनी यानी प्रमोशन गतिविधि भारत की राजधानी नयी दिल्ली में आयोजित हुई। चीन-भारत थाइची अंतर्राष्ट्रीय अकादमी का अनावरण किया गया। भारत के पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के उच्च शिक्षालय और थिंक टैंक के प्रतिनिधि मंडलों ने क्रमशः युन्नान का दौरा किया और सहयोग को गहन करने की आशा जताई। 2018 में चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो के दौरान चीन-दक्षिण एशिया दक्षिण पूर्वी एशिया थिंक टैंक मंच भी आयोजित किया जाएगा। दूसरा, सांस्कृतिक आदान प्रदान सामान्य बात बनेगी। 2017 के नवम्बर माह में पश्चिम बंगाल के कलाकारों के एक प्रतिनिधि ने युन्नान प्रांत की यात्रा की। युन्नान प्रांत और पश्चिम बंगाल की परम्परागत जातीय संस्कृति की विशेषता है। मेले और उत्सवों का आयोजन करने से दोनों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान और मज़बूत किया जाएगा। तीसरा, चीन और भारत कला प्रदर्शन, प्रदर्शनी और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण आदि क्षेत्रों में कारगर सहयोग करेंगे, जबकि दोनों देशों की स्थानीय सरकारें अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगी।
औद्योगिक उद्यान चीन और भारत के सहयोग का अहम प्लेटफ़ार्म बनेगा। भारत हमेशा से चीन के औद्योगिक उद्यान की नीति सीख रहा है। भारत छोंगछिंग शहर के निर्माण उद्योग को बड़ा मूल्यवान समझता है। भारत को आशा है कि छोंगछिंग के उद्यम भारत में पूंजी निवेश दे सकेंगे। छोंगछिंग ने चेन्नई आदि परम्परागत मोटर कारों के मशहूर शहरों में कारखाने का निर्माण करने की योजना पेश की। क्वेईचो ने 2018 में भारत के साथ मिलकर सूचना प्रौद्योगिकी उद्यान का सहनिर्माण करने का प्रस्ताव भी बनाया और आशा है कि 2020 में इस का सुभीतापूर्ण रूप से कार्यान्वयन किया जा सकेगा। इस के अलावा चीन ने भारत के गुजरात प्रदेश और महाराष्ट्र प्रदेश में दो औद्योगिक उद्यानों का निर्माण करने की घोषणा भी की। चीन के क्वांगतोंग प्रांत और गुजरात प्रदेश, शांगहाई शहर और महाराष्ट्र प्रदेश की राजधानी मुम्बेई अलग अलग तौर पर मैत्री प्रांत और मैत्री शहर हैं। मोदी सरकार की“मेक इन इंडिया”की नीति के समर्थन में चीन के समुद्रतटीय प्रांत व शहर भी भारत की स्थानीय सरकारों के साथ और यथार्थ सहयोग करेंगे।
हालांकि 2017 में चीन-भारत संबंध“डोकलाम घटना”से प्रभावित हुआ था। लेकिन दो बड़ी शक्तियों और पड़ोसी देशों के बीच संबंधों के समग्र और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से, चीन और भारतीय संबंधों में सुधार जारी रहेगा और स्थानीय सहयोग एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। आर्थिक व व्यापारिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान प्रदान की अच्छी प्रवृत्ति को बरकरार रखना दोनों देशों के संबंधों और जनता के बीच आपसी समझ को आगे बढ़ाने का अहम भाग है। यह चीन और भारत दोनों देशों की सहमति भी है। स्थानीय सहयोग और आदान प्रदान के निरंतर विस्तार से द्विपक्षीय संबंधों के सुधार के लिए मददगार है, जिससे इस क्षेत्र को समृद्धि व स्थिरता ला सकेगी।

लेखक युन्नान प्रांत के सामाजिक विज्ञान अकादमी और चीनी (खुनमिंग) दक्षिण एशिया दक्षिण पूर्वी एशिया की अनुसंधान संस्था के भूतपूर्व प्रधान एवं अनुसंधानकर्ता हैं।