19वीं कांग्रेस की भावना के निर्देशन में चीन-भारत आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की नयी परिस्थिति की रचना करें

2017 के अक्टूबर माह में संपन्न चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलन में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के महासचिव और चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने पिछले पांच सालों में चीन में प्राप्त विभिन्न प्रगतियों को निचोड़कर चीन के भविष्य के राजनीतिक, आर्थिक व व्यापारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास के लिए दिशा निर्धारित की और ब्लूप्रिंट तैयार किया। साथ ही चीन-भारत आर्थिक व व्यापारिक संबंध को आगे बढ़ाने के लिए रास्ता स्पष्ट भी किया। भविष्य में हम 19वीं कांग्रेस की गाइड में तीन केंद्रों को पकड़ेंगे और “घनिष्ट संबंध, संतुलित ढांचा और आपसी लाभ एवं साझी जीत” के नये युग के चीन-भारत आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की नयी परिस्थिति की रचना करेंगे।
कोर संबंध की रचना- समानता और आपसी उदार वाला आर्थिक व व्यापारिक साझेदारी
19वीं कांग्रेस की रिपोर्ट में बताया गया, चीन “एक दूसरे का सम्मान करने, निष्पक्षता और न्याय, सहयोग व साझी जीत वाले नये ढंग के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के निर्माण को आगे बढ़ाने और मानव साझे भाग्य वाले समुदाय के निर्माण को अपना मिशन मानेगा।” यह चीन द्वारा शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर चलने और सक्रिय रूप से वैश्विक प्रशासन में भाग लेने वाला “चीनी प्रस्ताव” है। चीन और भारत अच्छे पड़ोसी और अच्छे मित्र हैं, साथ ही अच्छे आर्थिक व व्यापारिक साझेदार भी हैं। 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के बाद चीन और भारत के नेताओं ने विभिन्न स्थानों में 10 से ज्यादा बार भेंट वार्ताएं कीं, अनेक अहम सहमतियां प्राप्त कीं और चीन-भारत आर्थिक व व्यापारिक सहयोग के लिए दिशा निर्धारित की। खासतौर पर 2017 के सितम्बर माह में संपन्न ब्रिक्स देशों की श्यामन भेंटवार्ता में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने जोर दिया कि चीन और भारत को “ड्रैगन और हाथी का एक साथ नृत्य” करना चाहिए, जबकि “ड्रैगन और हाथी को लड़ाई” नहीं करनी चाहिए। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने मंजूरी देते हुए कहा कि द्विपक्षीय संबंध “एक प्लस एक बराबर ग्यारह” का प्रभाव साकार किया जा सकता है। इसलिए हम द्विपक्षीय सहयोग का और विस्तार करेंगे, दोनों देशों की सरकारों और उद्यमों के बीच विभिन्न क्षेत्रों की सहयोग प्रणाली की भूमिका अदाकर एक साथ अपनी आर्थिक शक्ति और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा शक्ति को उन्नत करेंगे। आर्थिक व व्यापारिक संयुक्त कार्य दल, सामरिक आर्थिक वार्तालाप और वित्तीय वार्तालाप आदि दोनों देशों की अहम आर्थिक व व्यापारिक प्रणाली की भूमिका को आगे बढ़ाने से चीन और भारत दोनों देशों के सामरिक जोड़ का विस्तार करेंगे, व्यापारिक पूंजी की सुविधाकरण को आगे बढ़ाऐंगे, द्विपक्षीय व्यापारी ढांचे को श्रेष्ठ बनाऐंगे, बड़ी परियोजनाओं का सक्रिय सहयोग करेंगे और चीन-भारत आर्थिक विकास के बड़े ढांचे की रचना करेंगे। साथ ही दोनों देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), क्षेत्रीय तमाम आर्थिक साझेदारी संबंध समझौता (आरसीईपी) आदि बहुपक्षीय आर्थिक मंच संपर्क व समंव्य को मज़बूत करेंगे, एक साथ भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे, विकासमान देशों के हितों की रक्षा करेंगे और अधिक घनिष्ट, और समानता, आपसी लाभ व साझी जीत वाले आर्थिक व व्यापारिक संबंध की रचना करेंगे।

कोर ध्यान का हल करना और संतुलित व्यापारी ढांचा
सीपीसी की 19वीं कांग्रेस की रिपोर्ट में “खुलेपन व नवाचार की खोज करने और समावेशी व आपसी उदार वाले विकास आउटलुक” पेश किया गया। रिपोर्ट में जोर दिया गया कि “चीन में खुलेपन का द्वार कभी नहीं बंद होगा, जबकि द्वार ज्यादा से ज्यादा और खुलेगा।” लम्बे अरसे से चीन और भारत के बीच व्यापार की असंतुलन समस्या चीन-भारत आर्थिक व व्यापारिक विकास में बाधा डालने वाले कारणों में से एक है। हम खुशी से देखते हैं कि दोनों देशों की सरकारों के उभय प्रयास से 2017 में चीन-भारत व्यापार की कुल रकम 80 अरब अमेरिकी डॉलर के पार होने की संभावना है, जो पिछले पांच सालों में एक नया रिकॉर्ड है। साथ ही भारत से चीन के आयात में 20 प्रतिशत की वृद्धि है, जबकि भारत से निर्यात में कोई बदलाव नहीं है। चीन 2018 में पहले अंतर्राष्ट्रीय आयात एक्सपो का आयोजन भी करेगा। यह विश्व में पहला आयात के विषय पर बड़ा एक्सपो होगा और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारी विकास इतिहास में एक बड़ी घटना होगी। चीन यह स्वागत करता है कि भारत से आये विशेष उत्पादक इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आएंगे और विश्व के मालों के साथ प्रदर्शित किये जाएंगे, साथ ही चीनी बाजार में प्रवेश करने के रास्ते का विस्तार करेंगे। इसके साथ हम सीमांत व्यापार का विस्तार करने, कृषि उत्पादकों के चीन में निर्यात करने को उन्नत करने और ऑडर उद्योग का विस्तार करने पर अनुसंधान करेंगे। हम यथाशीघ्र ही क्षेत्रीय स्वतंत्र व्यापार समझौते को संपन्न करने को आगे बढ़ाएंगे, चीन-भारत व्यापार पैमाना और व्यापार स्तर को उन्नत करेंगे और आयात को बढ़ाएंगे, ताकि और सक्रिय रवैये से बाजार के खुलेपन का विस्तार कर सके और और संतुलित विदेशी व्यापारी ढांचे की स्थापना कर सके।
कोर क्षेत्र को आगे बढ़ाना- आपसी लाभ और साझी जीत वाली पूंजी निवेश सिस्टम
सीपीसी की 19वीं कांग्रेस की रिपोर्ट में यह कहा गया कि “चीन आयात और निर्यात पर जोर देकर व्यापक विचार-विमर्श, साझा सहयोग और सहभागी लाभ के सिद्धांत का पालन कर नवाचार क्षमता और खुलेपन व सहयोग को मज़बूत करने पर जोर देने और थलीय व समुद्री क्षेत्रों और पूर्वी व पश्चिमी भागों में खुलेपन का ढांचा स्थापित करेगा।” चीन हमेशा के लिए “आपसी लाभ और साझी जीत” के रवैये से विदेशी पूंजी देता है। आंकड़े बताते हैं कि 2012 से 2016 तक विदेशों में चीनी उद्यमों ने कुल 1.372 खरब अमेरिकी डॉलर की पूंजी लगाई, हरेक साल 10 लाख से ज्यादा रोजगार के मौके दिए और स्थानीय आर्थिक व सामाजिक विकास एवं विश्व आर्थिक विकास में सक्रिय भूमिका अदा की। इधर के सालों में चीन और भारत की सरकारों के बीच“ उत्पादन क्षमता सहयोग”, “औद्योगिक पार्क” आदि अनेक आर्थिक व व्यापारिक सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया और पूंजी निवेश के सहयोग के लिए अच्छे प्लेटफार्म की रचना की। अलीबाबा, फूशिंग फार्मास्युटिकल, शांगहाई मोटर गाड़ी, ह्वाश्या शिनफू आदि कुछ चीनी मशहूर कारोबारों ने क्रमशः भारत में पूंजी निवेश किया। उन्होंने न सिर्फ़ “मेक इन इंडिया” और “वेंचर इंडिया” आदि रणनीति के लागू होने को पूंजी और तकनीक समर्थन दिया, बल्कि स्थानीय सामाजिक विकास के लिए रोजगार और कर आदि गारंटी भी दी, जिन्हें स्थानीय सरकारों की उच्च अनुमति दी गयी है। 2017 के 16 नवम्बर को हायर कंपनी के भारतीय औद्योगिक उद्यान के खोलने की रस्म में भाग लेते समय मैंने महाराष्ट्र प्रदेश के मुख्यमंत्री फड़नवीस के साथ गहन रूप से विचार विमर्श किया। उन्होंने महाराष्ट्र प्रदेश में हायर कंपनी के विकास की उच्च सराहना की और इसे विदेशी उद्यमों के “मेक इन इंडिया” में भाग लेने की मिसाल मानी। हाल में विश्व बैंक के《व्यापारी वातावरण की रिपोर्ट》के मुताबिक भारत की रेंकिंग 130वें स्थान से 100वें स्थान तक उन्नत किया, जो सबसे तेज़ गति पाने वाला देश हैं। यह चीनी उद्यमों के भारत में पूंजी निवेश देने के उत्साह को आगे प्रेरित करेगा। इसलिए हमें बाहरी पूंजी निवेश के वातावरण को श्रेष्ठ बनाने पर अध्ययन करना चाहिए, “द्विपक्षीय पूंजी निवेश के रक्षा समझौता” और “डबल कर लेने से बचाने का समझौता” आदि सरकारों के बीच समझौतों का संशोधन को आगे बढ़ाना चाहिए, ताकि बाहरी पूंजी निवेश के लिए बेहतर माहौल की तैयारी कर सके। साथ ही हमें चीनी पूंजी वाले कारोबारों के भारत में आर्थिक व व्यापारिक सहयोग को मापदंड कर बाजार के प्रमुख कर्त्तव्य और सामाजिक कर्त्तव्य निभाना चाहिए, नियम के अनुसार कर देने और रोजगार देने आदि सामाजिक समस्याओं का हल करना चाहिए। हमें भारत के चिकित्सा और आईटी आदि श्रेष्ठ उद्योगों के चीन में पूंजी निवेश व सहयोग करने को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाना चाहिए और “मैत्रीपूर्ण वातावरण, उद्योगों की आपसी आपूर्ती, आपसी लाभ व साझी जीत” वाली दो-तरफ़ा पूंजी निवेश सिस्टम की स्थापना करनी चाहिए।
“चीजें लगातार आगे विकसित हो रही हैं और नई चीजें अंततः पुरानी चीजों को बदल देगी।” भारत स्थित चीनी राजदूत ल्वो च्याओह्वेई ने बार-बार जोर दिया कि चीन-भारत संबंध स्थगित नहीं होना चाहिए, न ही रूकना चाहिए और न ही वापस लौटना चाहिए। दोनों पक्षों को एक दिशा में आगे बढ़ते हुए दोनों देशों के नेताओं की श्यामन भेंटवार्ता में प्राप्त सहमतियों का कार्यान्वयन कर सहयोग करने से मतभेदों को कम करना चाहिए, मतभेदों का हल करने से द्विपक्षीय संबंधों के और स्वस्थ विकास को आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि सीपीसी की 19वीं भावना की गाइड में और दोनों देशों के नेताओं की प्रेरणा में चीन-भारत आर्थिक व व्यापारिक सहयोग दोनों देशों की सरकारों, व्यापारी जगतों, उद्यमों और जनता को यथार्थ लाभ दे सकेगा और द्विपक्षीय संबंधों के बल्लास्ट पत्थर और प्रोपेलर की भूमिका अदा कर सकेगा, ताकि यह दिन जल्द ही आएगा कि यदि “चीन और भारत एक स्वर में बोलते हैं, तो सारी दुनिया सुनेगी।”
लेखक भारत स्थित चीनी दूतावास में आर्थिक व वाणिज्यिक कांसलर हैं।